यूरिक एसिड (Uric acid)

यूरिक एसिड खून में पाया जाने वाला एक गंदा पदार्थ होता है। यह तब बनता है जब शरीर प्यूरीन नामक रसायनों को तोड़ता है,अधिकांश यूरिक एसिड रक्त में घुल जाता है, किडनियों से होकर गुजरता है और शरीर से पेशाब के जरिए बाहर निकल जाता है। प्यूरीन से भरपूर खाद्य और पेय पदार्थ भी खून में यूरिक एसिड लेवल को बढ़ाते हैं।

खून में इसकी मात्रा बढ़ने से गाउट रोग (Gout disease) हो सकता है। गाउट,गठिया की तरह का रोग है जिसमें जोड़ों में गंभीर दर्द होता है। यदि शरीर में बहुत अधिक यूरिक एसिड रहता है, तो हाइपरयूरिसीमिया की समस्या हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें यूरिक एसिड 'क्रिस्टल' बन सकते हैं। ये क्रिस्टल जोड़ों में जमा हो सकते हैं और गठिया का कारण बन सकते हैं। इतना ही नहीं, इससे किडनी की पथरी भी बन सकती है।

अगर हाई यूरिक एसिड लेवल का उचित इलाज नहीं किया गया, तो हड्डी, जोड़ और टिश्यू का डैमेज कर सकता है। इतना ही नहीं, इससे किडनी रोग और हार्ट डिजीज का भी खतरा हो सकता है।
 
छ दिन चबाएं ये 3 तरह के पत्ते, खून में जमा गंदा यूरिक एसिड खुद निकलेगा बाहर
चिकित्सा जगत में इसके लिए कई इलाज हैं लेकिन आप कुछ घरेलू उपचारों के जरिए भी इससे राहत पा सकते हैं।

यूरिक एसिड की रामबाण दवा-धनिया पत्ते


धनिया के हरे पत्ते सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते बल्कि कई गंभीर बीमारियों का इलाज भी करते हैं। धनिया का आयुर्वेद में एक प्रमुख स्थान है। आप धनिया के पत्तों का इस्तेमाल ब्लड में क्रिएटिनी और यूरिक एसिड लेवल को कम करने के लिए कर सकते हैं। धनिया फाइबर, आयरन, मैंगनीज और मैग्नीशियम का एक बेहतर स्रोत है। प्रोटीन के अलावा पत्तियों में विटामिन सी और विटामिन के होता है। इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, थायमिन, फॉस्फोरस और नियासिन जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।

कैसे करें धनिया का इस्तेमाल

 
धनिया पत्ती का एक गुच्छा लें, पत्तियों को अच्छी तरह धो लें। इसके बाद पत्तों को आधे घंटे के लिए नमक के पानी में डूबोकर रख दें। जड़ों को काटकर दो गिलास पानी में एक बंद बर्तन में 10 मिनट के लिए उबाल लें। बिना ढक्कन हटाए इसे ठंडा होने दें। इस तरल का सेवन खाली पेट करें।

यूरिक एसिड को कम करने में कारगर है तेज पत्ता


एक अध्ययन के अनुसार तेज पत्ता रसोई घर में मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि यह एक हर्बल उपचार भी हो सकता है जो यूरिक एसिड को कम कर सकता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए और फोलिक एसिड होता है जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। हाई यूरिक एसिड को कम करने के लिए तेज पत्ते को कारगर माना जाता है।

कैसे करें तेज पत्ता का इस्तेमाल


10-25 तेज पत्ते लें और तीन गिलास पानी लें। आप तेज पत्ते को साफ होने तक बहते पानी से धो लें। फिर आप एक गिलास पानी छोड़ने के लिए तेज पत्ते को उबलते पानी में उबाल लें। उबले हुए पानी को दो तेज पत्तों में बांट लें। आप उबला हुआ पानी दिन में दो बार पिएं।

पान के पत्ते


पान के हरे पत्ते भी यूरिक एसिड लेवल को कम करने में सहायक हैं। एक अध्ययन के अनुसार, शोध के दौरान जिन चूहों को पान के पत्तों का अर्क दिया गया था, उनका यूरिक एसिड लेवल 8.09mg/dl से घटकर 2.02mg/dl हो गया था। इसके लिए आप पान के पत्ते चबा सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि उसके साथ किसी भी तरह के तंबाकू का इस्तेमाल न करें।

सफेद मूसली !!
सफेद मूसली एक शक्‍तिवर्धक जड़ी बूटी है जो कि ज्‍यादातर यौन क्षमता को बढ़ाने के लिये प्रयोग की जाती है। मगर ऐसा नहीं है कि इसका केवल एक ही काम हो, यह अन्‍य औषधीय गुणों से भी भरी हुई होती है। विश्‍व बाजार में इसकी बहुत मांग बढ़ी है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, इन्फर्टिलिटी, स्पर्म की कमी, कमजोरी और कमजोर इम्युनिटी की समस्या को दूर करने के लिए सफेद मूसली का सेवन प्राचीन समय से किया जाता रहा है। बेहतर परिणाम के लिए मिश्री और दूध के साथ एक चम्मच मूसली पावडर का सेवन सुबह और शाम को करना चाहिए !!

शतावरी !!
परंपरागत रूप से शतावरी को महिलाओं की जड़ी बूटी माना गया है, हांलाकि यह पौधा पुरुषों के हार्मोन लेवल को बढ़ा कर उनकी कामुकता में भी इजाफा कर सकता है। पुरुषों में इन्फर्टिलिटी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, थकान, कमजोरी, लो स्पर्म काउंट और यूरिन की समस्या को दूर करने के लिए शतावर के प्राचीन नुस्खे का इस्तेमाल आज भी किया जाता है। बेहतर परिणाम के लिए एक चम्मच मिश्री और गाय के घी के साथ आधा चम्मच शतावर पावडर का इस्तेमाल करना चाहिए और फिर दूध पीना चाहिए !!

केसर !!

सदियों से केसर का प्रयोग स्वास्थ्य और सौंदर्य लाभ पाने के लिए किया जाता रहा है। केसर की तासीर गर्म होती हैं। केसर हमारे शरीर की दुर्बलता को दूर करके ताकत प्रदान करती है। केसर के नुस्खे का इस्तेमाल प्राचीन समय में राजा-महाराजा भी किया करते थे। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, इन्फर्टिलिटी, लो स्पर्म काउंट, कमजोरी और थकान जैसी समस्या से निजात बी पाने के लिए केसर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए गुनगुने दूध में चुटकी भर केसर डालकर रात को सोने से पहले उसका सेवन करना चाहिए !
जोड़ों के दर्द के लिएः

अश्वगंधा
अश्वगंधा एक चमत्‍कारी गुणों वाली औषधि है,आयुर्वेद में अश्वगंधा का विशेष स्‍थान है, इसे भारत में कई स्‍थानों पर भारतीय गिनसेंग भी कहा जाता है। नस-नाड़ियों की कमजोरी, थकान, लो स्पर्म काउंट, इम्युनिटी की समस्या को दूर करने के लिए प्राचीन समय से ही अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अम्बा हल्दी 
अम्बा हल्दी में एंटी-बैक्टीरिया, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं। इससे न सिर्फ हड्डियों की सेहत सुधरती है, बल्कि त्वचा संबंधी कई समस्याओं से निजात मिलती है, इससे जोड़ो के दर्द में राहत मिलेगी। इससे हड्डी की चोट में भी फायदा मिलता है।

सोंठ 
सोंठ में आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, सोडियम, विटामिन ए और सी, जिंक, फोलेट एसिड, फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं. जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद है. सोंठ  इस्तेमाल कर इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाया जा सकता है।